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Gandhi
हेलो ! मैं गांधी

मुझे किसी के प्रति भी तिरस्कार का भाव नहीं उत्पन्न होता: महात्मा गाँधी

मैंने अनेक बार यह देखने की कोशिश की है कि मैं अपने शत्रु से घृणा कर सकता हूं या नहीं – यह देखने की नहीं कि प्रेम कर सकता हूं या नहीं, पर यह देखने की कि घृणा कर सकता हूं या

October 9, 2022
Gandhi
हेलो ! मैं गांधी

मैंने कॉंग्रेस इसलिए छोड़ी ताकि उसे और अधिक मदद कर सकूँ: महात्मा गाँधी

मैं काँग्रेस से जो हट गया हूँ उसके पीछे कुछ खास कारण हैं। यह मैंने इसलिए किया है कि काँग्रेस को मैं और भी अधिक मदद दे सकूँ। जब तक सत्य और अहिंसा पर आधार रखने वाले 1920 के कार्यक्रम की प्रतिज्ञा

October 8, 2022
साहित्य

ऋण कृत्वा घी भी पी लेंगे…

ऋण कृत्वा घी भी पी लेंगे =================== आत्म समर्पण करते हैं डाकू नेताओं के आगे मारे- मारे वे फिरते हैं जंगल मे भागे – भागे।। 1।। हाथ नहीं लगता कुछ भी क्या खाक़ मिला इस पेशे से राजनीति भली चंगी लगती सर

October 3, 2022
विविध

गांधीजी का पहला उद्देश्य किसी तरह भारतीय जनता के चरित्र को बदलना था: जवाहरलाल नेहरू

गाँधी जी एक बहुत ही महान और जटिल व्यक्ति हैं। मैं यह बात मजाकिया अंदाज में नहीं कह रहा हूँ। उन्होंने भारत में चमत्कार किया है। भारत में उन्होंने जो जबरदस्त बदलाव लाया है, उसे महसूस करना चाहिए। गांधीजी का पहला उद्देश्य

September 20, 2022
Gandhi
हेलो ! मैं गांधी

गवर्नर को राज्य की पार्टीबाजी से अलग रहकर सार्वजनिक हित के लिए काम करना चाहिए: महात्मा गाँधी

मेरे ख़याल से तो प्रान्तों में अब गवर्नरों की ज़रूरत ही नहीं है। मुख्यमंत्री ही सब कामकाज चला सकता है। जनता का 5500 रु. मासिक गवर्नर के वेतन पर व्यर्थ ही क्‍यों खर्च किया जाये? फिर भी अगर प्रान्तों में गवर्नर रखने

September 15, 2022
साहित्य

भुखमरी ने खेले खेल बहुत….दिल के टुकड़े भी बेचे हैं…/ कविता

भुखमरी    पौरुष     यदि     विश्राम    करे    अंचल   में   सुषमा के   आकर    पंकिल   भूगोल    धरा    लेकर     मिट    जायेगी    माहुर  खाकर।। 1।।     यौवन   की   आँखो  के  सपने     उड़   गए 

September 13, 2022
Gandhi
हेलो ! मैं गांधी

जितने व्यक्ति हैं उतने धर्म हैं: महात्मा गाँधी

दुनिया के विभिन्‍न धर्म एक ही स्थान पर पहुँचने के अलग-अलग रास्ते हैं। जब तक हम एक ही उद्दिष्ट स्थान पर पहुँचते हैं, हमारे भिन्‍न-भिन्‍न मार्ग अपनाने में क्या हर्ज है? वास्तव में जितने व्यक्ति हैं उतने ही धर्म हैं।    

September 12, 2022
विचार

क्या ‘निर्भया’ के समय का समाज निर्भीक था और आज के समय का निर्लज्ज?

जो दिल्ली को जानते है वो वहाँ की गर्मी और सर्दी से भली भाँति परिचित होंगे। 17 दिसंबर 2012 की कंपकंपाती ठंड में दिल्ली उबल रही थी क्योंकि समाज बिना किसी चेहरे या संगठन के सहयोग के संगठित हो क्रोध से उबल

September 11, 2022
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विविध

nehru dinkar

राजनीति जहाँ वह कठोर होती है, वहाँ वह तानाशाही समझी जाती है: दिनकर

November 9, 2023

मैं अपना बचाव करने या आपके वोट के लिए याचना करने के लिए तैयार नहीं हूं: पं. जवाहरलाल नेहरू

July 21, 2023

‘हमें पंडितों और मुल्लाओं की जरूरत नहीं’

July 18, 2023

“आइए, हम सब वृहत्तर हित के लिए अपनी पूरी ताक़त लगा दें।”: इंदिरा गाँधी

July 15, 2023

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