अगर एक तर्कसंगत रवैया समाज में फैले अंधविश्वास, भावुकता और तर्कहीनता को किसी भी तरह से कम करता है तो इस बात पर मेरा गहरा विश्वास है कि वह समाज निश्चित तौर पर रचनात्मकता और प्रगति की ओर अग्रसर है। एक
आज़ादी के 70 सालों के बाद भी यहाँ रोजगार के नाम पर खेती के अलावा कुछ खास नहीं है। पक्ष और पार्टी से परे बेरोजगारी हर राज्य की समस्या है। एक भी भर्ती या बहाली ऐसी नहीं जो संदेह या कोर्ट के
बेरोजगारी का दर्द उस पिता से पूछा जाना चाहिए जो हाथ में डिग्री लिए अपने बेटे से अपने बुढ़ापे का सहारा बनने की आस लगाए बैठा है। इस दर्द को वो माँ बयाँ करेगी जिसने अपने बेटे को सफल होते देखने के
“सभ्यता का नियम तो यह है कि जिन लोगों को कुरान शरीफ की आयत पर आपत्ति है वे अपना विरोध प्रकट करके चले जाएं और बाद में मुझको समझायें कि मैं इससे किस प्रकार हिन्दू धर्म को नुकसान पहुँचाता हूँ। मैं समझदार
देश में बेरोज़गारी की विकराल होती समस्या और सोती हुई राज्य व केंद्र सरकारों के ख़िलाफ़ आम आवाज़ें बुलंद हो रही हैं। कोई रोकर, कोई चीखकर तो कोई लगभग गाली देने की भाषा में सरकारों को कोस रहा है। मंदिर- मस्जिद समेत
विधान का ‘भगवान’ झंडे की ‘बिरादरी’ के कुछ लोगों ने, ‘विधान’ के भगवान, इंसान, को घायल कर दिया है, इंसान का अपमान, विधान में विराजमान, देश के ‘प्रधान’ के धृणा अनुसंधान का परिणाम है। विधान का संरक्षक,
“देअर आर मैनी कॉज़ेज़ आई वुड डाई फॉर। देअर इज़ नॉट अ सिंगल कॉज़ आई वुड किल फॉर।” – महात्मा गांधी गांधी अहिंसा का वो प्रतीक हैं जिस ने मार्टिन लूथर किंग, दलाई लामा, नेल्सन मंडेला सरीखी शख्सियतों को अहिंसा की
महाभारत का युद्ध चल रहा था। कर्ण और अर्जुन की पुरानी प्रतिद्वंदिता थी। कर्ण किसी भी तरह अर्जुन को परास्त करना चाहता था। कहते हैं एक ऐसा मौका आया था जब कर्ण अर्जुन को परास्त कर सकता था। एक कथा है कि