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विचार

शीर्ष नेतृत्व के चुप रहने की कोई तो वजह होगी।

सरकारें विभिन्न जनसंचार माध्यमों से जिस रूप में संदेशों को प्रेषित करती हैं, वही तय करता है कि किस किस्म के अपराध देश में बढ़ने वाले हैं। ये संदेश दो स्तर पर काम करते हैं। पहला निचला स्तर जहाँ किसी राजनैतिक दल,

December 26, 2021
विचार

क्या धर्मान्धता में हम देश और नेशन-स्टेट (राष्ट्र-राज्य) के बीच का फ़र्क भूल जाते हैं?

इंसाफ़, तर्कसंगत और चेतना इन शब्दों के सीधे अर्थों को आप देखेंगे तो निश्चित तौर पर कोई सीधा सम्बन्ध नहीं है। पर मैं जिस संदर्भ में आगे बात करने जा रहा हूँ उसकी माला में ये सब मोती हैं। मैं आपके धर्म

December 20, 2021
विचार

शिक्षा एक औज़ार है हमारी मंशाओं को एक स्वरुप देने का!

क्या एक शिक्षित व्यक्ति निश्चित तौर पर ग्रहणशील और उदार-चित्त होगा ही? पूर्वग्रह से मुक्ति कौन दिलाता है – साहस या विद्या? आपने प्रायः पढ़ा या सुना होगा लोगों को यह कहते हुए की “पढ़ा लिखा होता तो यह न करता”। या

December 12, 2021
gandhi
हेलो ! मैं गांधी

“धन की गति में भी परिवर्तन हो सकता है”

  “धन नदी के समान हैं। नदी सदा समुद्र की ओर अर्थात नीचे की ओर बहती है इसी तरह धन को भी जहां आवश्यकता हो वही जाना चाहिए परंतु जैसे नदी की गति बदल सकती है।  धन की गति में भी परिवर्तन

December 10, 2021
विचार

बिन तकलीफ़ों के रिश्ते ‘फ़्रेजाइल’ होते हैं

‘व्यवस्थित और सीमित’ तकलीफ़ें किसी भी सम्बंध की बुनियाद हैं। ‘रेग्युलेटेड’ समस्याओं का जाल दो व्यक्तियों के रिश्ते को कई जगह से मजबूत करता है। एक तरफ़ यह रिश्तों के ऊपर एक ऐसी छत बनाता है जिससे सम्बन्धों में ‘वाह्य आक्रमण’ की

December 9, 2021
economy
साक्षात्कार

“आईआईटी ने भी वो रोल नहीं निभाया जो उसे इंडिया की टेक्नोलॉजी को डेवलप करने में निभाना चाहिए था”-अरुण कुमार

जब कालाधन कोई चुनावी जुमला और सरकारों को विस्थापित करने का साधन नहीं था तब से इस पर नज़र रखने वाले और ब्लैक ईकानमी पर कई पुस्तकें लिख चुके प्रोफेसर अरुण कुमार कोविड-19 के आने के पहले ही देश की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था

December 8, 2021
विविध

वैदिक-आर्य लोगों को यह विश्वास था कि मौत भी एक जीवन है: जवाहरलाल नेहरू

वेदों को लेकर जवाहर लाल नेहरू का मानना था कि – “बहुत से हिंदू वेदों को श्रुति ग्रंथ मानते हैं । खास तौर पर एक दुर्भाग्य की बात मालूम पड़ती है , क्योंकि इस तरह हम उनके सच्चे महत्व को खो बैठते

December 7, 2021
विचार

आज़ादी मतलब 15 अगस्त 1947 !

  “समाचार पत्रों की वास्तविक जिम्मेदारी है, लोगों को शिक्षित करना, लोगों के दिमाग की सफाई करना, उन्हे संकुचित सांप्रदायिक विभाजन से बचाना, और सार्वजनिक राष्ट्रवाद के विचार को प्रोत्साहित करने के लिए सांप्रदायिक भावनाओं का उन्मूलन करना। लेकिन ऐसा लगता है

December 4, 2021
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विविध

nehru dinkar

राजनीति जहाँ वह कठोर होती है, वहाँ वह तानाशाही समझी जाती है: दिनकर

November 9, 2023

मैं अपना बचाव करने या आपके वोट के लिए याचना करने के लिए तैयार नहीं हूं: पं. जवाहरलाल नेहरू

July 21, 2023

‘हमें पंडितों और मुल्लाओं की जरूरत नहीं’

July 18, 2023

“आइए, हम सब वृहत्तर हित के लिए अपनी पूरी ताक़त लगा दें।”: इंदिरा गाँधी

July 15, 2023

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