अधिक धन चाहने का वास्तविक अर्थ है ‘मनुष्यों पर सत्ता’: महात्मा गाँधी

असल में धन के नाम से जो चीज़ चाही जाती है वह है मनुष्यों पर सत्ता। सीधे-सादे शब्दों में उसका अर्थ है, वह सत्ता जिससे हमें अपने लाभ के लिए नौकर, व्यापारी और कलाकार का श्रम मिल जाए। इसलिए साधारण अर्थ में

आर्थिक समानता का अर्थ है कुदरती आवश्यकताओं की सुनिश्चित पूर्ति: महात्मा गाँधी

आर्थिक समानता का सच्चा अर्थ है जगत के सब मनुष्यों के पास एक समान संपत्ति का होना, यानी सबके पास इतनी संपत्ति होना, जिससे वे अपनी कुदरती आवश्यकताएँ पूरी कर सकें। कुदरत ने एक आदमी का हाजमा अगर नाजुक बनाया हो और

गाँधी-इरविन समझौते से नेहरू बहुत दुखी थे: राजेन्द्र प्रसाद

(गाँधी-इरविन समझौते,1931 को लेकर) महात्माजी को उधर लार्ड इरविन के साथ उसके प्रत्येक शब्द पर विचार करना पड़ता और इधर हम लोगों के साथ भी। लार्ड इरविन और महात्माजी, दोनों ही, बहुत ही सहिष्णुता और धीरज के साथ, समझौते के मसविदे को

कोई भी जन्म से अछूत नहीं हो सकता: महात्मा गाँधी

“कोई भी जन्म से अछूत नहीं हो सकता, क्योंकि सभी उस एक आग की चिंगारियाँ हैं। कुछ मनुष्यों को जन्म से अस्पृश्य समझना गलत है। यह व्रत केवल ‘अछूतों’ से मित्रता करके ही पूरा नहीं हो जाता, इसमें सभी प्राणियों को आत्मवत

‘यदि हिन्दू गाय को बचाने के लिए मुसलमान की हत्या करें, तो यह जबरदस्ती के सिवा और क्या है?’: महात्मा गाँधी

हिन्दू, मुसलमान, ईसाई, सिख, पारसी आदि को अपने मतभेद हिंसा का आश्रय लेकर और लड़ाई-झगड़ा करके नहीं निपटाने चाहिए।. . . हिन्दू और मुसलमान मुँह से तो कहते हैं कि धर्म में जबरदस्ती को कोई स्थान नहीं है। लेकिन यदि हिन्दू गाय

लोकतंत्र के दुरुपयोग की संभावना को कम से कम करना है: महात्मा गाँधी

कोई भी मनुष्य की बनाई हुई संस्था ऐसी नहीं है जिसमें खतरा न हो। संस्था जितनी बड़ी होगी, उसके दुरुपयोग की संभावनायें भी उतनी ही बड़ी होंगी। लोकतंत्र एक बड़ी संस्था है, इसलिए उसका दुरुपयोग भी बहुत हो सकता है। लेकिन उसका

स्वतंत्र रहना या दास बनना आपके अपने हाथ में है: महात्मा गाँधी

  मनुष्य का सच्चा सुख सन्तोष में निहित है। जो मनुष्य असन्तुष्ट है वह कितनी ही सम्पत्ति होने पर भी अपनी इच्छाओं का दास बन जाता है। और इच्छाओं की दासता से बढ़कर दूसरी कोई दासता इस जगत में नहीं है। सारे

हमें ग्रामवासियों से एकता साधनी होगी: महात्मा गाँधी

जिनकी पीठ पर जलता हुआ सूरज अपनी किरणों के तीर बरसाता है और उस हालत में भी जो कठिन परिश्रम करते रहते हैं, उन ग्रामवासियों से हमें एकता साधनी है। हमें सोचना है कि जिस पोखर में वे नहाते हैं और अपने

उर्दू ने हमारी आज़ादी की लड़ाई में बहुत अहम भूमिका अदा की है: इंदिरा गाँधी

हम सब उर्दू भाषा को बढ़ावा इसलिए नहीं देना चाहते कि वह एक अल्पसंख्यक समुदाय की भाषा है बल्कि इसलिए कि वह एक महत्वपूर्ण भारतीय भाषा है। वह पूरी तरह से भारत की भाषा है। हो सकता है किसी अन्य देश ने

‘जो सेवा करना चाहता है, वह अपने आराम का विचार करने में एक क्षण भी व्यर्थ खर्च नहीं करेगा’: महात्मा गाँधी

वैराग्य का यह अर्थ नहीं कि संसार को छोड़कर जंगल में रहने लग जाएँ। वैराग्य की भावना जीवन की समस्त प्रवृत्तियों में व्याप्त होनी चाहिए। कोई गृहस्थ यदि जीवन को भोग न समझकर कर्तव्य समझता है, तो वह गृहस्थ मिट नहीं जाता।

1 7 8 9 10 11 15